सिलीगुड़ी :- ब्रह्मा बाबा संसार इनको अनेकों शास्त्रों के अनुसार आदि देव या आदम के नाम से याद करता है। वेदानुसार ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता कहा गया हैं। हम अब समझते हैं कि निराकार परमात्मा (शिव), ब्रह्मा के द्वारा नई दुनिया की रचना करते हैं। ब्रह्मा बाबा का जीवन कितना साधारण व सेवार्थ था, जैसा कि बड़ी दादियों ने बताया, और मुरली व बाबा के लिखित पत्रों से जाना, यह इस जीवनी में लिखित है। लोगों के जीवन में सही रास्ता मिल सके और अपनी कठिनाई और परेशानियों को दूर करके एक सच्चा रास्ता चुने इसी के संदेश को लेकर ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक – पिताश्री ब्रह्मा के वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित
3डी एनिमेशन में एक फिल्म “द लाइट ए जर्नी वीथ इन” को डागापुर सिलीगुड़ी कार्निवल सिनेमा सविन किंगडम मे दिखाया गया। दो दिवसीय शो में आज पहला शो आज दिखाया गया। आज की शो को देखने वाले सिलीगुड़ी के हजारो उनके भक्त उनके प्रेमी इस फिल्म को देखकर अपने आप को सर्वोपरि मान रहे हैं।एक प्रेरणादायक गाथा ब्रह्माकुमारीज गॉडलीवुड स्टूडियो और आईरियलिटीज टेक्नोलॉजी द्वारा बनाई गई “द लाइट ए जर्नी वीथ इन” एनीमेशन फिल्म को निर्माता: बीके हरिलाल भानुशाली एवं क्रिएटिव निर्माता शूजीत सरकार के द्वारा बनाया गया।इस फिल्म को देखकर हमे अपने जीवन मे ब्रह्मा बाबा के पदचिह्नों पर चलने का संदेश देता है।आज लाखों मनुष्य आत्माए इस ईश्वरीय ज्ञान को प्राप्त कर, जीवन जीने का आदर्श मार्ग अपना रही हैं। अर्थात अपने को आत्मा जान, ब्रह्माकुमारी व ब्रह्माकुमार, ईश्वरीय श्रीमत अनुसार स्वयं के और दुसरो के कल्याण अर्थ तत पर है। और इस आध्यात्मिक मार्ग पर हमारा साथी हैं स्वयं परमात्मा, शिव बाबा जो हमारा अविनाशी रूहानी-बाप, परम शिक्षक व सतगुरु हैं। इस फिल्म के माध्यम से उन्होंने यही संदेश दिया कि एक अंधेरे जीवन में दीपक की उजाला का क्या महत्व है एक उजाला जो पूरे अंधकार को खत्म कर देती है वह अपने लॉ से चारों तरफ रोशनी फैलता है। ठीक उसी प्रकार जीवन में किया गया मेहनत परिश्रम का फल कभी भी हार नहीं मानता है भले ही आपके रास्ते में बहुत सारी कठिनाइयां आएगी जो आपके जीवन को झंझोर कर रख देगी अगर आप उसे सारी कठिनाइयों को पार कर अपनी सफलताओं को पार कर लेंगे तो आपके जीवन में हमेशा ही दीपक की रोशनी की तरह खुशियां फैलेगी और तो आज यही खुशियां अगर आप किसी दूसरे के जीवन में देते हैं तो वह आपके जीवन में परमात्मा की सेवा से बढकर कोई सेवा नहीं होगी।