एबॉट के “चक्कर को चेक कर” अभियान का उद्देश्य वर्टिगो के लक्षणों के बारे में शिक्षित करना है

दुनिया में हेल्‍थकेयर की अग्रणी कंपनी एबॅट ने भारत में ‘चक्‍कर को चेक कर’ कैम्‍पेन लॉन्‍च किया है। यह कैम्‍पेन संतुलन की अक्‍सर नजरअंदाज की जाने वाली एक समस्‍या ‘वर्टिगो’ पर रोशनी डालता है। इस समस्‍या से भारत में करीब 70 मिलियन लोग प्रभावित हैं। वर्टिगो में लोगों को ऐसा अनुभव हो सकता है कि उनके आस-पास की दुनिया घूम रही है। इस कैम्‍पेन के माध्‍यम से एबॅट अपनी सेहत पर काबू रखने और इस समस्‍या को बेहतर तरीके से संभालने में लोगों की मदद करना चाहता है।

वर्टिगो की गुमराह करने वाली सच्‍चाई से दुनिया को रूबरू कराने के लिये एबॅट ने एक डिजिटल फिल्‍म के माध्‍यम से यह कैम्‍पेन शुरू किया है। इसमें बॉलीवुड एक्‍टर और यूनिसेफ इंडिया के एम्‍बेसेडर आयुष्‍मान खुराना नजर आ रहे हैं। इसमें दिखाया गया है कि वर्टिगो में अचानक आने वाले चक्‍कर कैसे जीवन का संतुलन बिगाड़ सकते हैं। इस परेशानी का अनुभव करने वाले लोगों से इसके सम्‍बंध में कुछ कदम उठाने आग्रह भी किया गया है।

वर्टिगो का खुद सामना कर चुके आयुष्‍मान खुराना ने अपना निजी अनुभव बताते हुए कहा, ‘‘वर्टिगो से निपटना एक चुनौती रहा, लेकिन मुझे मजबूती के साथ वापसी करने की ताकत भी पता चली। मुझे इस समस्‍या का पता 2016 में चला था और मेरा अचानक होने वाला हर मूवमेंट मेरे इर्द-गिर्द दुनिया को घुमा देता था। फिल्‍मों के व्‍यस्‍त शेड्यूल्‍स के बीच चक्‍कर आने का डर लगातार बना रहता था। हालांकि सही दवाएं लेने और मेडिटेशन करने से मेरी समस्‍या पूरी तरह संभल गई। ऐसा करना मुश्किल लग सकता है, लेकिन यह याद रखना चाहिये कि इस लड़ाई को आप जीत सकते हैं। उम्‍मीद है कि मेरी कहानी दूसरों को भी मदद लेने और नये आत्‍मविश्‍वास के साथ जीने के‍ लिये प्रेरित करेगी।’’ यह अनुभव आम है। करोड़ों लोग इस परेशानी को चुपचाप झेल रहे हैं और इसे सामान्‍य चक्‍कर समझ रहे हैं। सही समय पर सही पहचान होना और उपचार करने और जीवनशैली में बदलाव लाने से इस स्थिति को संभाला जा सकता है और अपनी सेहत पर काबू पाया जा सकता है।

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