अनुराग कश्यप ने कहा कि कान्स में भारत का कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूरोपीय समारोह में स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं की जीत सिर्फ उनकी है और देश उस तरह के पुरस्कार विजेता सिनेमा का समर्थन नहीं करता। पिछले महीने कान्स फिल्म महोत्सव के 77वें संस्करण में भारत ने अभूतपूर्व तीन पुरस्कार जीते- पायल कपाड़िया अपनी फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ के लिए ग्रैंड प्रिक्स जीतने वाली भारत की पहली निर्देशक बनीं, अनसूया सेनगुप्ता को ‘द शेमलेस’ के लिए अन सर्टेन रिगार्ड श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला और एफटीआईआई के छात्र चिदानंद एस नाइक ने ‘सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो’ के लिए ला सिनेफ खंड में सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म का पुरस्कार जीता। कश्यप ने यहां पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, “जब ‘इंडिया@कान्स’ कहा जाता है तो मैं बहुत परेशान हो जाता हूं। यह एक बढ़ावा है… बहुत से स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं के लिए एक प्रोत्साहन है, लेकिन उनकी जीत उनकी अपनी है।” “कान्स में भारत का कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा, इनमें से एक भी फिल्म भारतीय नहीं है। उन्होंने कहा, “हमें इस मुद्दे को उसी तरह से हल करना चाहिए जिस तरह से इसे हल किया जाना चाहिए। भारत ने इस तरह के सिनेमा का समर्थन करना बंद कर दिया है, जिस तरह का सिनेमा कान्स में दिखाया गया था।”
अनुराग कश्यप ने कहा भारत ‘कान्स जैसी’ सिनेमा का समर्थन नहीं करता
