भारत में अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाली कपास की गांठें, कपास के बीज और सूती धागे के निर्यातकों में अग्रणी निर्माताओं में से एक एक्सिटा कॉटन लिमिटेड ने 1:3 के अनुपात में बोनस इक्विटी शेयर जारी करने की घोषणा की है (यानी, रिकॉर्ड तिथि के अनुसार प्रत्येक 3 फुल्ली पेइड-अप इक्विटी शेयर्स के लिए रु. 1 का 1 बोनस इक्विटी शेयर) जो शेयरधारकों से अनुमोदन के अधीन है। कंपनी ने 30 जून, 2024 को समाप्त पहली तिमाही के लिए वित्तीय परिणाम भी घोषित किए। कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के लिए रु. 3.54 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जबकि कर पूर्व लाभ रु. 4.96 करोड़ था। वित्तीय वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कंपनी की कुल आय रु. 154.96 करोड़ और एबिटा रु. 5.73 करोड़ रही।
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के दौरान कंपनी के प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए, एक्सिटा कॉटन लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, श्री नितिनभाई पटेल ने बताया कि, “चुनौतीपूर्ण उद्योग परिदृश्य और वैश्विक सुस्ती के बावजूद हमें मजबूत तिमाही नतीजों की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। केंद्र सरकार नए बाजारों तक पहुंच बनाने की दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। भारतीय कपड़ा उद्योग देश के प्रमुख उद्योगों में से एक है और सरकार अपनी नीतियों और पहलों के माध्यम से उद्योग को आगे बढ़ा रही है ताकि यह वैश्विक प्रतिस्पर्धी बन सके और अपनी वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ा सके।
31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए, एक्सिटा कॉटन लिमिटेड ने रु. 20.33 करोड़ का शुद्ध लाभ, रु. 27.30 करोड़ का कर पूर्व लाभ और रु. 1,104.38 करोड़ की कुल आय दर्ज की थी। एक्सिटा कॉटन की उत्पादन सुविधा रणनीतिक रूप से गुजरात के महेसाणा जिले के कडी में स्थित है। यह आदर्श स्थान कंपनी को सौराष्ट्र और गुजरात के अन्य हिस्सों के संपन्न कपास उत्पादक क्षेत्रों के करीब रखता है, जिससे उसे बेहतरीन कच्चे माल का स्रोत प्राप्त करने और अपने उत्पादों में सर्वोत्तम गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। जैविक कपास (ओर्गेनिक कॉटन) उद्योग तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि उपभोक्ता पारंपरिक कपास उत्पादन के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं। 2020 में, जैविक कपास का वैश्विक बाजार 1.3 बिलियन डॉलर का था, और 2025 तक इसके बढ़कर 2.5 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है, और अपने मजबूत लोकतंत्र और मजबूत साझेदारी के कारण अगले दशक में इसके शीर्ष आर्थिक शक्तियों में से एक होने का अनुमान है। भारत वैश्विक स्तर पर कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह एक ऐसी फसल है जो भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय कपास किसानों की आजीविका के लिए अधिक महत्व रखती है। उद्योग ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करके उनकी आजीविका बनाए रख रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और ग्रामीण आबादी भी शामिल है। कपास सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है और कुल वैश्विक फाइबर उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है। कपड़ा उद्योग का कृषि (कपास जैसे कच्चे माल के लिए) और कपड़ा के मामले में देश की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं से घनिष्ठ संबंध इसे देश के अन्य उद्योगों की तुलना में अद्वितीय बनाता है।