आठ महीने के लंबे इंतज़ार के बाद तीस्ता नदी में बोरोली मछलियां लौट आई है, लेकिन इस बार इनकी संख्या काफी कम है.प्रत्येक वर्ष जब मानसून आता है, तो स्वादिष्ट बोरोली मछलियाँ तीस्ता में आ जाती हैं और सर्दियों तक वे अच्छी संख्या में देखी जाती हैं। बोरोली उत्तर बंगाल की सबसे लोकप्रिय मछलियों में से एक है। मूलतः तीस्ता में तीन से चार महीने तक इस मछली की मात्रा अधिक होती है। मानसून की शुरुआत के साथ बोरोली मछली की आवक बढ़ जाती है। इस मछली के स्वाद से न सिर्फ उत्तर बंगाल के लोग बल्कि यहां आने वाले बंगाली पर्यटक भी प्रभावित हैं। ऐसा कोई नहीं है जो इस पूरे मानसून के दौरान यहां आकर बोरोली मछली का स्वाद न चखता चाहता हो। इसलिए तीस्ता की बोरोली मछलियां क मांग हर साल अधिक रहती है।
इस साल जून से मानसून उत्तर बंगाल में प्रवेश कर चुका है। हालाँकि, भारी बारिश और पहाड़ों से आ रही कीचड़ युक्त घुला पानी के कारण तीस्ता का पानी गंदला हो गया है, इसके कारन बोरोली मछलियां की संख्या कम हो गई है। हालाँकि मछलियों की संख्या कम हो रही है, लेकिन मांग अधिक है। स्वाभाविक रूप से बोरोली मछली की कीमत आसमान छू रही है.बहुत से लोगों को नहीं पता है कि उत्तर बंगाल का चांदी की तरह चमकने वाली बोरोली मछलियां लगभग छह इंच लंबी हो सकती है. तीस्ता-कार्ला मुहाने में मछली पकड़ने आए हरन दास ने कहा कि पिछले साल सिक्किम में बाढ़ के दौरान पानी गंदा होने और गाद ज्यादा होने से तीस्ता में ज्यादात मछलियां मर गईं थीं।
कई लोगों ने सोचा कि बोरोली मछली फिर कभी तीस्ता में नहीं मिलेगी। यह मानसून लगभग एक महीने पहले शुरू हुआ है, पिछले एक महीने से तीस्ता का पानी लगातार बढ़ रहा है। अब जब पानी थोड़ा कम हो गया है, तो बोरोली फिर से हमारे जाल में फंस रही है, लेकिन अब पहाड़ों में लगातार बारिश के कारण गंदे पानी के कारण बोरोली का पेट पीला हो गया है, अगर पानी साफ है, तो बोरोली का पेट सफेद हो जाएगा, लेकिन वह पूजा के बाद।आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय ज्योति बसु उत्तर बंगाल आए थे, तो उनकी बोरोली प्रेम की कहानी समाचार पत्रों में छपी थी। उत्तरी बंगाल के तीस्ता, तोरसा आदि कुछ नदियों बोरोली मछलियां मिलती है. शहरों के बाजारों में तीन-चार इंच आकार में उपलब्ध होती हैं, जिनकी कीमत एक हजार रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती है। मछुआरों को उम्मीद है कि आने वाले समय में बोरोली मछलियां की संख्या तीस्ता सहित अन्य नदीयों में बढ़ेगी।