क्या बिना ट्रेनिंग के ही ट्रेन चलाते हैं लोको पायलट ?

क्या रुपयों के खेल से ही सब कुछ हो जाता है? यात्रियों को जान की कोई कीमत नहीं!

  • क्या रेलवे के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट सही तरीके से नहीं निभा रहे हैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी ?
  • जांच की प्रक्रिया बीते 23 दिनों से लगातार जारी अभी कुछ और खुलासे की संभावना

सिलीगुड़ी : नार्थ- ईस्ट फ्रंटियर (एनएफ) रेलवे के कटिहार डिवीजन अधीनस्थ उत्तर बंगाल के सबसे बड़े रेल स्टेशन एनजेपी से थोड़ी दूर एक मालगाड़ी व कंचजंघा एक्सप्रेस के एक्सीडेंट के मामले में एक दिल दहला देने वाला खुलासा हुआ है। ऐसा खुलासा कि अब यात्री ट्रेन यात्रा करने से पहले हजार बार सोचने को मजबूर होंगे। याद रहे कि पिछले महीने 17 जून, सोमवार की सुबह लगभग 08:50 बजे एनजेपी स्टेशन से थोड़ी दूर रांगापानी और चटेरहाट स्टेशन के बीच निजबाड़ी स्टेशन के नजदीक एक मालगाड़ी ने कंचनजंघा एक्सप्रेस के पिछले हिस्से में जोरदार टक्कर मार दी थी। उस भीषण दुर्घटना में मालगाड़ी के लोको पायलट अनिल कुमार तथा कंचनजंघा एक्सप्रेस के गार्ड आशीष दे समेत 10 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 50 से ज्यादा यात्री घायल हो गए। उसी ट्रेन एक्सीडेंट की जांच में यह खुलासा हुआ है कि, आटोमैटिक सिग्नलिंग सेक्शन पर ट्रेन चलाने की सही ट्रेनिंग लोको पायलटों को नहीं दी जा रही है।यह खुलासा किसी अन्य ने नहीं व बल्कि लोको पायलट एसोसिएशन द्वारा किया गया है। उक्त एक्सीडेंट से की जांच कर रहे भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन रेलवे के मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस-चीफ कमिश्नर आफ रेलवे सेफ्टी) जनक कुमार गर्ग की पूछताछ में लोको पायलट एसोसिएशन वालों ने ऐसा ही दिल दहला देने वाला खुलासा किया है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि, क्या रेलवे के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट सही तरीके से अपने हिस्से की जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं? क्या बिना आवश्यक ट्रेनिंग के ही हजारों-हजार यात्रियों की जान जोखिम में डाल ट्रेनों के लोको पायलटों व सहायक लोको पायलटों को ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी जा रही है? क्या इन सबके पीछे रुपये की लेन-देन का भी खेल है? इस तरह से हजारों-हजार यात्रियों की जान ले लिए जा सकने वाले कृत्य के दोषियों के विरुद्ध क्या कोई कठोर कार्रवाई होगी? वह होगी तो कब होगी? या फिर समय के साथ मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा और जैसा चल रहा है वैसा ही जोखिम भरा मामला चलता रहेगा? क्या आम यात्री अपनी जान जोखिम में डाल कर ही यात्रा करने को मजबूर रहेंगे? क्या आम यात्रियों की जान की कोई कीमत नहीं है?ऐसे अनगिनत सवालों के जवाब आम लोग चाहते हैं।उपरोक्त ट्रेन एक्सीडेंट के मामले में यह अहम बिंदु सामने आने से इसकी जांच का मामला और भी पेचीदा हो गया है। यही कारण है कि जोनल रेलवे ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के अधिकारियों तथा प्रशिक्षकों को भी दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इस पेचीदगी को देखते हुए लगने लगा है कि कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन एक्सीडेंट मामले में जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करना आसान नहीं रहने वाला है। वैसे जांच की प्रक्रिया बीते 23 दिनों से लगातार जारी है। आगे और भी बहुत कुछ खुलासा हो सकता है।

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