भारत की अग्रणी प्रीस्कूल विशेषज्ञ संस्था, यूरोकिड्स ने अपने पाठ्यक्रम के 8वें संस्करण, ‘ह्यूरेका’, विज़िबल थिंकिंग करिकुलम के लॉन्च की घोषणा की है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट ज़ीरो से प्रेरित और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के व्यापक विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप, ह्यूरेका को बच्चों के आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच (क्रिटिकल एवं क्रिएटिव थिंकिंग) से जुड़े कौशल को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है।
यूरोकिड्स की महत्वाकांक्षी विकास रणनीति के अंग के रूप में, इस प्रीस्कूल नेटवर्क ने मुंबई और पूरे महाराष्ट्र में विस्तार करने की अपनी योजना की भी घोषणा की। यूरोकिड्स ने अगले 5 साल में राज्य में 325 नए केंद्र खोलने की योजना बनाई है, और इनकी संख्या 400 तक करने का लक्ष्य है, जिससे राज्य में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी यूरोकिड्स, उच्च गुणवत्ता वाली प्रारंभिक शिक्षा की आवश्यकता को समझता है, इसलिए यह अपने पाठ्यक्रम को अपडेट करता रहता है।
ह्यूरेका पाठ्यक्रम एक उल्लेखनीय बदलाव को रेखांकित करता है। पहले बच्चों को “क्या” सोचना है, यह सिखाया जाता था, जबकि ह्यूरेका के तहत उन्हें “कैसे” सोचना है जैसे कौशल से लैस किया जाएगा । इस पाठ्यक्रम में 20 व्यवस्थित हार्वर्ड-प्रेरित थिंकिंग रूटीन है, जो जिज्ञासा जगाते हैं, कल्पना शक्ति को बढ़ावा देते हैं और नन्हे बच्चों में आलोचनात्मक चिंतन विकसित करते हैं। साथ ही ये रूटीन यह भी सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे केवल जानकारी न ग्रहण करें बल्कि सक्रिय रूप से उससे जुड़ें भी ताकि गहरी समझ और रचनात्मकता को बढ़ावा मिले।
लाइटहाउस लर्निंग के प्री-के डिवीज़न (यूरोकिड्स) के मुख्य कार्यकारी, केवीएस शेषसाई ने इस पाठ्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा करते हुए कहा, “यूरोकिड्स में, हम दो साल की उम्र से ही जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच को पोषित कर आजीवन सीखते रहने की बुनियाद रखने में विश्वास करते हैं। पाठ्यक्रम विकास प्रमुख, डॉ. अनीता मदान ने ह्यूरेका को बच्चों की शुरुआती दौर में देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में सबसेनवोन्मेषी पाठ्यक्रम के रूप में तैयार किया है। शिक्षा के प्रति हमारा समग्र दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे न केवल स्कूल के लिए बल्कि जीवन के लिए तैयार हों, और उन्हें लगातार विकसित हो रही दुनिया में आगे बढ़ने के कौशल से लैस किया जाए।”
यूरोकिड्स की पाठ्यक्रम विकास प्रमुख, डॉ. अनीता मदान ने पाठ्यक्रम के शुभारंभ के बारे में कहा, “ह्यूरेका प्रारंभिक शिक्षा के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है। एपिक्स ढांचे के साथ, हम केवल बौद्धिक विकास (आईक्यू) पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि समग्र विकास को बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें भावनात्मक, शारीरिक, रचनात्मक और आध्यात्मिक विकास शामिल हैं। हम बच्चों को न केवल सवाल का जवाब देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं, बल्कि पहले से मौजूद उत्तर पर सवाल भी उठाने के लिए भी प्रेरित करना चाहते हैं। यह बदलाव जिज्ञासा, आलोचनात्मक विश्लेषण और अपने आसपास की दुनिया के साथ गहरा संबंध बनाने में भी मदद करता है।