भारत में पालतू जानवरों की देखभाल में उछाल का कारण जेन जेड और मिलेनियल्स हैं: मार्स पेटकेयर अध्ययन से पता चलता है

पालतू जानवरों की देखभाल और पोषण में वैश्विक अग्रणी, मार्स पेटकेयरने अपने ग्लोबल पेट पेरेंट सर्वे से महत्वपूर्ण निष्कर्ष जारी किए हैं। इस सर्वे में दुनिया भर के 20,000 से अधिक पालतू जानवरों के   मालिक (कुत्ते और बिल्ली पालने वाले) शामिल थे, जिनमें भारत के 1,000 उत्तरदाता भी शामिल थे। सर्वेक्षण से पता चलता है कि पालतू जानवरों का हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह मार्स द्वारा अब तक किए गए सबसे बड़े सर्वेक्षणों में से एक है। इस सर्वे में पाया गया कि दो-तिहाई पालतू जानवरों  के उत्तरदाता अपने कुत्ते या बिल्ली को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं । पालतू जानवर पालने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और लोग अपने पालतू जानवरों को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानने लगे हैं। सर्वे के नतीजे एक नए युग की ओर इशारा करते हैं, जिसमें पालतू जानवरों और उनके मालिकों के बीच भावनात्मक संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गए है।

जेन जेड और मिलेनियल्स के लिए, पालतू जानवर ऐसे साथी हैं जो निस्वार्थ प्यार देते हैं, तनाव को कम करते हैं और मजबूत भावनात्मक संबंध बनाते हैं। भारत में 64% युवा कुत्ते के मालिक और 60% युवा बिल्ली के मालिकों ने बताया कि उनके पालतू जानवर तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि पालतू जानवर उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। पालतू जानवरों को गोद लेना कम से कम तीन महीने या उससे कम उम्र में शुरू होता है, जिसमें 67% कुत्ते के पिल्ले और 70% बिल्ली के बच्चे शामिल हैं। हालांकि, सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि पालतू जानवरों को गोद लेने को लेकर जागरूकता बढ़ाने की अभी भी आवश्यकता है। केवल 6% कुत्ते के पिल्ले और 4% बिल्ली के बच्चे आश्रय स्थलों से गोद लिए जाते हैं, जबकि 17% कुत्ते के पिल्ले और 10% बिल्ली के बच्चे प्रजनकों के माध्यम से खरीदे जाते हैं। और सबसे अधिक 23% कुत्ते के पिल्ले और 19% बिल्ली के बच्चे पालतू पशु दुकानों से खरीदे जाते हैं। यह दर्शाता है कि गोद लेने की प्रक्रिया और जिम्मेदार पालतू पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो भारत में एक अधिक संवेदनशील पालतू जानवरों के   देखभाल संस्कृति को प्रोत्साहित कर सकता है ।

सलील मूर्ति, मैनेजिंग डायरेक्टर, मार्स पेटकेयर इंडिया ने निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए कहा:
“यह सर्वेक्षण भारतीय पालतू जानवर मालिकों की एक नई पीढ़ी के जीवन को उजागर करता है, जो अपने पालतू जानवरों को अपने जीवन और भलाई का एक आवश्यक हिस्सा मानते हैं। युवा भारतीय न केवल बड़ी संख्या में पालतू जानवरों  को गोद ले रहे हैं, बल्कि इन संबंधों से होने वाले भावनात्मक और मानसिक लाभों को प्राथमिकता भी दे रहे हैं। मार्स पेटकेयर में, हम पालतू जानवरों के मालिकों की सेवा के लिए समर्पित हैं और उनसे सीखने और उनकी बात सुनने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। मार्स ग्लोबल पेट पेरेंट स्टडी यह दर्शाता है कि हम पालतू जानवरों के पालन के विकास को समझने और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह अब केवल स्वामित्व नहीं रह गया है; यह जीवन भर का संबंध बन गया है। भारत भी इससे अलग नहीं है। जैसे वे अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं, जेन जेड अपने पालतू जानवरों  के स्वास्थ्य और पोषण के प्रति भी उतने ही प्रतिबद्ध हैं। पालतू जानवरों  की देखभाल में अग्रणी होने के नाते, हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे पोर्टफोलियो का हर उत्पाद पालतू जानवरों के लिए 100% संपूर्ण और संतुलित पोषण प्रदान करता है, चाहे वे कहीं भी हों। पोषण से परे, हम पालतू जानवर मालिकों की चुनौतियों को आसान बनाने और पालतू जानवरों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने का प्रयास करते हैं। हमारे प्रयास, जैसे कि ‘पालतू जानवरों  के लिए बेहतर शहर बनाना,’ ‘नॅशनल ॲडॉप्शन वीकेंड्स का आयोजन,’ प्रमुख शहरों में मोबाइल शेल्टर शुरू करना, और कई शहरों में पशु कल्याण संगठनों के साथ साझेदारी करना, हमारे इस उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं।”

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