भारत के अग्रणी स्कूल एडटेक, लीड ग्रुप ने भारत में स्कूली शिक्षा की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने वाले एक नए अध्ययन, ‘द पल्स ऑफ स्कूल लीडर्स सर्वे’ जारी किया है। इसके महत्वपूर्ण निष्कर्षों में, जो स्कूल अपने छात्रों को मल्टी-मॉडल शिक्षा प्रदान करते हैं, वे खुद को उन स्कूलों की तुलना में बेहतर मानते हैं जो केवल पाठ्यपुस्तकों जैसे पारंपरिक रूपों का उपयोग करते हैं। राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण लगभग 1.7 लाख छात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 500 से ज्यादा निजी स्कूलों की रेटिंग पर आधारित था। स्कूलों को छात्रों के सीखने के चार महत्वपूर्ण परिणामों – वैचारिक समझ, आत्मविश्वास, अंग्रेजी बोलना और शिक्षा की समग्र गुणवत्ता के आधार पर खुद को रेटिंग देने के लिए कहा गया था।
अधिकांश स्कूलों ने वैचारिक समझ और पूरी क्वालिटी पर खुद को उच्च दर्जा दिया। छात्रों के आत्मविश्वास के स्तर और अंग्रेजी बोलने के कौशल में अंतर था। इसके अलावा, बिहार में स्कूल लीडरों के सामने सबसे बड़ी चुनौतियाँ अपर्याप्त शिक्षण तकनीक और अपर्याप्त शिक्षण बुनियादी ढाँचा हैं।
सर्वेक्षण उन स्कूलों के प्रदर्शन में स्पष्ट अंतर दिखाता है जो लीड जैसी एकीकृत प्रणालियों का उपयोग करते हैं, बनाम उन स्कूलों के प्रदर्शन में जो केवल पाठ्यपुस्तकों जैसे पारंपरिक रूपों पर निर्भर हैं। यह उल्लेखनीय है कि इंटीग्रेटेड सिस्टम अपनी पाठ योजनाओं में सीखने के विभिन्न तरीकों को जोड़ते हैं जिनमें पाठ्यपुस्तकों, वीडियो और गतिविधियां शामिल हैं। इन विभिन्न दृष्टिकोणों की सिफारिश राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 द्वारा की गई है, जो इस बात पर जोर देता है कि सीखना पारंपरिक पाठ्यपुस्तकों से आगे बढ़ना चाहिए।