RBI के रेपो दर घटाने के बावजूद बाजार में गिरावट

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में लगातार दूसरी बार कटौती करने और मौद्रिक नीति का रुख ‘तटस्थ’ से ‘समर्थनात्मक’ करने के बावजूद वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध गहराने से घबराए निवेशकों की आईटी, रियल्टी, टेक और फोकस्ड आईटी समेत 18 समूहों में हुई भारी बिकवाली से आज शेयर बाजार गिर गया।
बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 379.93 अंक अर्थात 0.51 प्रतिशत का गोता लगाकर 73,847.15 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 136.70 अंक यानी 0.61 प्रतिशत लुढ़ककर 22399.15 अंक पर बंद हुआ। बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी बिकवाली हावी रही, जिससे मिडकैप 0.73 प्रतिशत टूटकर 39,546.54 अंक और स्मॉलकैप 1.08 प्रतिशत कमजोर रहकर 44,446.07 अंक पर आ गया।
इस दौरान बीएसई में कुल 4030 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2356 में गिरावट जबकि 1532 में तेजी रही वहीं 142 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में कारोबार के लिए रखे गए कुल 2909 कंपनियों के शेयरों में से 1747 में बिकवाली जबकि 1083 में लिवाली हुई वहीं 79 में टिकाव रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लागू होने की संभावना ने वैश्विक वित्तीय बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है। हालात इतने खराब हैं कि विश्लेषक इसे “सड़कों पर खून बहने” जैसी स्थिति बता रहे हैं। अनिश्चितता का माहौल सर्वोच्च है और यह कहना कठिन है कि वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था इस अराजकता से कैसे बाहर निकलेंगे। हालांकि इस गिरावट को अवसर में बदलने वाले निवेशकों के लिए यह समय अनुकूल हो सकता है बशर्ते वे लंबी अवधि की सोच रखते हों और उतार-चढ़ाव का सामना करने को तैयार हों।
इस अस्थिरता के बीच दो बातें स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आई हैं। भारत दुनिया की उन गिनी-चुनी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से है, जो इस “ट्रंप टैरिफ झटके” से सबसे कम प्रभावित होंगी। घरेलू उपभोग आधारित भारत की अर्थव्यवस्था में वह लचीलापन है जो वैश्विक झटकों को काफी हद तक झेल सकती है।
आज आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक मौद्रिक प्रोत्साहन प्रदान करेगा।साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट भारत जैसे आयातक देश के लिए एक बड़ी राहत है, जिससे महंगाई और चालू खाता घाटे पर भी सकारात्मक असर पड़ सकता है।हालांकि, विश्लेषकों ने आगाह किया है कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी या उससे भी बदतर, मुद्रास्फीति के साथ मंदी की चपेट में आती है तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। निवेशकों को इन जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
भारी बिकवाली से बीएसई के 18 समूह लुढ़क गए। इस दौरान कमोडिटीज 0.72, सीडी 0.52, ऊर्जा 0.50, वित्तीय सेवाएं 0.71, हेल्थकेयर 1.20, इंडस्ट्रियल्स 1.42, आईटी 2.01, दूरसंचार 0.42, यूटिलिटीज 0.34, बैंकिंग 0.86, कैपिटल गुड्स 1.65, धातु 1.44, तेल एवं गैस 0.36, पावर 0.46, रियल्टी 2.00, टेक 1.57, सर्विसेज 0.02 और फोकस्ड आईटी समूह के शेयर 2.19 प्रतिशत टूट गए।
वैश्विक स्तर पर मिलाजुला रुख रहा। इस दौरान ब्रिटेन का एफटीएसई 2.44, जर्मनी का डैक्स 2.90 और जापान का निक्केई 3.93 प्रतिशत कमजोर रहा वहीं हंगाकांग का हैंगसेंग 0.68 और चीन का शंघाई कंपोजिट 1.31 प्रतिशत उछल गया।

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