जटेश्वर शिव मेले में लकड़ी के खिलौने बचपन की यादों को कर रहे हैं ताजा

आधुनिकता युग में इलेक्ट्रॉनिक   उत्पादों के बोल बाला बढ़ाता जा रहा है।  कंप्यूटर, टेलीफ़ोन, टैबलेट, स्मार्टफ़ोन, सेल फ़ोन, कैलकुलेटर, डिजिटल कैमरा सहित इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों अदि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में इस्तेमाल बच्चे तक कर रहे है. बच्चे बचपन से ही उनका इस्तेमाल करना सीखे जाते है।  मगर इंटरनेट के युग में जटेश्वर शिव मेले में बचपन की यादों से सजी लकड़ी की खिलौना कारें देखने को मिलीं।

रतन दास विभिन्न लकड़ी की वस्तुएं बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। जटेश्वर निवासी रतन दास पिछले 36 वर्षों से लकड़ी की खिलौना कार, ठाकुर सीट, बाजू, दरांती, नमक की डिब्बी समेत कई चीजें खुद बनाकर बेच रहे हैं। लकड़ी का काम करने वाले रतन दास ने कहा, “प्लास्टिक से प्रतिस्पर्धा है। फिर भी, हमने हार नहीं मानी है।”

ज्ञातव्य है कि जटेश्वर गोरूहाटी मैदान में हर वर्ष शिवरात्रि के आसपास मेला लगता है। जटेश्वर में शिव मेला देखने के लिए आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से हर दिन बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

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